प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने बसंत को कामदेव का बालक बताया है और सारी प्रकृति उसे दुलारने में लगी है-
डार द्रुम
पलना, बिछौना नवपल्लव के,
सुमन झगुला
सोहै तन छवि भारी दै।
पवन झुलावै
केकी कीर बहरावै देव,
कोकिल हलावै
हुलसावै कर तारी दै।
पूरित पराग सों
उतारो करै राई नोन,
कंजकली नायिका
लतानि सिर सारी दै।
मदन महीप जू को
बालक बसंत, ताहि,
प्रातहि जगावत
गुलाब चटकारी दै।
देव
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