Wednesday, March 15, 2023

 

श्री विनोद कुमार शुक्ल


डॉ. मंजूश्री गर्ग

जन्म-तिथि- 1जनवरी, सन् 1937 ई. राजनादगाँव

 

श्री विनोद कुमार शुक्ल जी हिन्दी के प्रसिद्ध कवि व कथाकार हैं। शुक्ल जी ने व्यवसाय के रूप में प्राध्यापन को चुना और साथ ही साहित्य का सृजन भी किया। शुक्ल जी का पहला कविता संग्रह लगभग जयहिंद नाम से सन् 1971 ई. में प्रकाशित हुआ। सन् 1979 ई. में दीवार में एक खिड़की उपन्यास प्रकाशित हुआ, इसके लिये शुक्ल जी को साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला और फिल्मकार मणिकौल ने दीवार में एक खिड़की नाम से एक फिल्म बनाई।

 

श्री विनोद कुमार शुक्ल जी की लेखन शैली एकदम नयी थी। उनके उपन्यासों में पहली बार एक मौलिक भारतीय उपन्यास की संभावना को दिशा मिली। उन्होंने एक साथ लोक आख्यान और आधुनिक मनुष्य की अस्तित्व मूलक जटिल आंकाक्षाओं की अभिव्यक्ति को समाविष्ट कर एक नयी कथा का स्वरूप प्रस्तुत किया। अपनी विशिष्ट भाषा संरचना, संवेदनात्मक उत्कृष्ट रचनाशीलता से शुक्ल जी ने भारतीय वैश्विक साहित्य को अद्वितीय रूप से समृद्ध किया।

 

श्री विनोद कुमार शुक्ल जी की रचनाओं का अन्य भाषाओं में भी अनुवाद हुआ है। भारत की अन्य भाषाओं के साथ-साथ अंग्रेजी, फ्रेंच और इतालवी भाषाओं में भी शुक्ल जी की रचनाओं का अनुवाद हुआ है। शुक्ल जी की प्रमुख रचनायें हैं-

 

कविता संग्रह-

वह आदमी चला गया नया गरम कोट पहनकर, विचार की तरह, सब कुछ होना बचा रहेगा, अतिरिक्त नहीं, कविता से लंबी कविता, आकाश धरती को खटखटाता है, पचास कवितायें(2011), कभी के बाद अभी, कवि ने कहा, प्रतिनिधि तवितायें।

 

उपन्यास-

नौकर की कमीज, खिलेगा तो देखेंगे, दीवार में एक खिड़की रहती थी, हरी घास की छप्पर वाली झोंपड़ी और बौना पहाड़, यासि रासा त, एक चुप्पी जगह।

 

कहानी संग्रह-

पेड़ पर कमरा, महाविद्यालय, एक कहानी, घोड़ा और अन्य कहानियाँ।

 

कहानी और कविता पर पुस्तक-

गोदाम, गमले में जंगल।

श्री विनोद कुमार शुक्ल जी को समय-समय पर विविध पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। जैसे- रजा पुरस्कार, शिखर सम्मान, हिन्दी गौरव सम्मान, राष्ट्रीय मैथिली गुप्त सम्मान, गजानन माधवबोध फेलोशिप। सन् 2023 ई. में अमेरिका के पेन/नाबोकोब सम्मान से सम्मानित किया गया। इसे अमेरिका में साहित्य का ऑस्कर सम्मान समझा जाता है।

 

प्रतिबिंब में उसके बालों में

एक फूल खुँसा है।

 

परन्तु उसके बालों में नहीं।

मैंने सोचा काले-तख्ते के चित्र से

फूल तोड़कर उसके बालों में लगा दूँ

या गमले से तोड़कर

या प्रतिबिंब से।

 

प्रेम की कक्षा में जीवन-भर अटका रहा।

                  श्री विनोद कुमार शुक्ल

 


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