वैयक्तिक संवेदना-
आषाढ़ का एक दिन(नाटक-मोहन राकेश) से-
लोग सोचते हैं मैंने उस जीवन और वातावरण मे रहकर बहुत कुछ लिखा है। परन्तु मैं
जानता हूँ मैंने वहाँ रहकर कुछ नहीं लिखा। जो कुछ लिखा है वह यहाँ के जीवन का ही
संचय था। कुमारसम्भव् की पृष्ठभूमि यह हिमालय है और पयस्विनि उमा तुम हो। मेघदूत
के यक्ष की पीड़ा मेरी पीड़ा है और विरह-विमर्दिता यक्षिणी तुम हो-यद्यपि
मैंने स्वयं यहाँ होने और तुम्हें नगर में देखने की कल्पना की। अभिज्ञान
शाकुन्तलम् में शकुन्तला के रूप में तुम्हीं मेरे सामने थीं। मैंने जब-जब
लिखने का प्रयत्न किया तुम्हारे और अपने जीवन के इतिहास को फिर-फिर दोहराया। और जब
उससे हटकर लिखना चाहा, तो रचना प्राणवान नहीं हुई। रघुवंश में अज का विलाप
मेरी ही वेदना की अभिव्यक्ति है और------। कालिदास पात्र का कथन
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