Wednesday, March 1, 2023


प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने बसंत ऋतु का वर्णन किया है-

बरन-बरन तरू फूले उपवन का,

सोई चतुरंग संग दल लहियतु।

बंदी जिमि बोलत विरद वीर कोकिल हैं,

गुंजत मधुप गान गुन गहियतु है।

आवे आस-पास पुहुपन की सुवास सोई,

सोने के सुगंध माझ सने रहियतु है।

सोभा को समाज सेनापति सुख साज आजु,

आवत बसंत रितुराज कहियतु है।

                                 सेनापति 

No comments:

Post a Comment