गीत
डॉ. मंजूश्री गर्ग
कैसे मन की बात कहें
मन पे मन का बोझ है।
रात अँधेरी चमके तारे
सजन हमारे कहाँ छुपे हो?
हम तो सजनि! साथ तुम्हारे
पूनम-मावस हाथ तुम्हारे।
चाँद-चाँदनी साथ चले
धरती औ’ आकाश तले।
फूलों में फूलों की खुशबू
ऐसे मन में आन बसे हो।
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