हिन्दी साहित्य
Sunday, January 14, 2018
समय की छलनी में,
छनेंगे सभी।
रेत के कण,
बह जायेंगे धार में।
हीरे के कण,
चमकेंगे युगों तक।
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
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