पति-पत्नी एक-दूसरे की प्रगति में बाधक नहीं बनते, वरन्
एक-दूसरे को सहयोग देते हैं. आपस में किसी भी बात का छिपाव सहन नहीं कर पाते, इसी
संवेदना की अभिव्यक्ति कवि ने यशोधरा के कथन से की है-
सिद्धि हेतु स्वामी गये यह
गौरव की बात।
पर चोरी चोरी गये यह बड़ी
आघात।।
सखी वे मुझसे कहकर जाते।
मैथिलीशरण गुप्त
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