Friday, June 21, 2019




कवि प्रस्तुत पंक्तियों में परिवार के सदस्यों में आपस प्रेम-भाव बनाये रखने के लिये कहते है. एक बार यदि रिश्ते टूट जाते हैं तो कुछ समय पश्चात् आपसी सुलह हो जाने पर भी मनों में गाँठ अवश्य पड़ जाती है-
रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाय।
टूटे से फिर ना मिलै, मिलै गाँठि परि जाय।।
                                 रहीमदास
इसीलिये कवि कहते हैं-
रूठे सुजन मनाइये जो रूठे सौ बार।
रहिमन फिर फिर पोइये जो टूटे सौ बार।।
                                 रहीमदास

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