हिन्दी साहित्य
Thursday, August 8, 2019
किनारे-किनारे चलोगे
तो कैसे पार लगोगे।
पानी है मंजिल तो
बीच धार में नाव चलाओ।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
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