जब देश पर कोई बाहरी आक्रमणकारी आक्रमण करता है तो देश का
हर व्यक्ति अपना कर्म छोड़कर देश की रक्षा के लिये हथियार उठाता है क्योंकि जब देश
सुरक्षित है तभी व्यक्ति, परिवार और समाज सुरक्षित है. इसी संवेदना की अभिव्यक्ति
कवि ने प्रस्तुत पंक्तियों में की है-
आए प्रचंड रिपु, शब्द गुन
उन्हीं का
भेजी सभी जगह एक झुकी कमान
ज्यों युद्ध चिह्न समझे सब
लोग धाए,
त्यों साथ ही कह रही यह
व्योम वाणी
सुना नहीं क्या रण शंखनाद?
चलो पके खेत किसान छोड़ो
पक्षी इन्हें खाएँ, तुम्हें
पड़ा क्या?
भाले भिदाओ, अब खड्ग खोलो
हवा इन्हें साफ किया करेगी
लो शस्त्र, हो लालन देख
छाती
स्वाधीन का सुत किसान
सशस्त्र दौड़ा
आगे गई धनुष के संग
व्योमवाणी।
चन्द्रधर शर्मा गुलेरी
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