Wednesday, July 31, 2019




जहाँ अति आधुनिक युग में हम विकास के चरम शिखर पर हैं वहीं बहुत कुछ पीछे छूटता जा रहा है. जैसे अब पल भर में दूर बैठे व्यक्ति से बात करना सम्भव हो गया है वहीं हाथ की लिखी चिट्ठियों की परम्परा पीछे छूटती जा रही है-


फोन वो खुशबू कहाँ से लाएगा।
वे जो आती थीं तुम्हारी चिट्ठियों से।
                        ममता किरन

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