Sunday, July 7, 2019




किसी व्यक्ति को अचानक से कहीं से धन या मान-सम्मान मिल जाता है तो वह समाज में और व्यक्तियों के ऊपर अपना रौब दिखाने लगता है, इसी संवेदना की अभिव्यक्ति कवि ने शतरंज के मोहरों के माध्यम से प्रस्तुत पंक्तियों में की है-
जो रहीम औछो बढ़ै, तो अति ही इतराय।
प्यादे से फरजी भयो, टेढ़ो टेढ़ो जाये।।
                                 रहीमदास

No comments:

Post a Comment