Saturday, July 13, 2019




प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने जनक के माध्यम से पिता के मन में पुत्री के विवाह की चिंता की अभिव्यक्ति की है-
सुरभी सों खुलन सुकवि की सुमति लागी,
चिरिया सी जागी चिंता जनक के जियरे।
धानुष पै ठाढ़े राम रवि से लसत आजु,
भोर के से नखत नरिंद भए पियरे।
                        रघुनाथ(कवि)

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