हिन्दी साहित्य
Sunday, July 14, 2019
आँखें......
डॉ. मंजूश्री गर्ग
बोलती आँखें,
मुस्काती आँखें,
लरजती आँखें,
शराबी आँखें,
डराती आँखें,
बिन कहे, कितना
कहें ये आँखें।
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