हिन्दी साहित्य
Thursday, July 25, 2019
दौड़ते रहे
काले घने बादल
बिन बरसे।
1.
तरसे हम
झूम-झूम बरसो
बरखा रानी।
2.
डॉ. मंजूश्री गर्ग
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