हिन्दी साहित्य
Friday, July 26, 2019
चाँदनी रात है औ
’
नदी का जल शांत है,
उदास है धरा आज।
बादलों की ओट में,
चाँद के आगोश में,
सो रही है चाँदनी।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
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