दर्शन क्या है?
डॉ. मंजूश्री गर्ग
दर्शन से अभिप्राय है
दृष्टिकोण. प्रत्येक व्यक्ति की चिंतन धारा अलग होती है, जीव और जगत को जानने और
समझने की राह अलग होती है. सूक्ष्म से भी अति सूक्ष्म ईश्वरीय सत्ता को पाने का
मार्ग अलग होता है.
ज्ञानमार्गी ज्ञान के
माध्यम से ईश्वर को प्राप्त करने का प्रयत्न करते हैं, उनके अनुसार आत्मा और
परमात्मा एक ही तत्व के दो रूप हैं जैसे नदी के जल और उससे भरे घड़े में कोई फर्क
नहीं होता.
भक्तिमार्गी भक्ति के
माध्यम से ईश्वर को प्राप्त करने का प्रयत्न करते हैं, उनके अनुसार जो कुछ है वो
ईश्वर है चाहे वो कृष्ण रूप में हो या राम रूप में या किसी अन्य रूप में.
प्रकृतिवादी प्रकृति के माध्यम
से ईश्वर को प्राप्त करने का प्रयत्न करते हैं, उनके अनुसार चर-अचर, प्रकृति के
कण-कण में ईश्वर व्याप्त हैं. ईश्वर को पाना है तो उसकी बनायी सृष्टि से प्रेम
करो.
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