हिन्दी साहित्य
Saturday, July 6, 2019
शत्रुघ्न के वाणों से मूर्छित लव के लिये विलाप करती हुई सीता के प्रति कुश का कथन-
रिपुहिं मारि संहारिदल यम ते लेहुं छुड़ाय।
लवहिं मिलै हों देखिहों माता तेरे पाय।।
केशवदास
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