Tuesday, November 19, 2019



शुक्र ग्रहण या शुक्र ग्रह का पारागमन

डॉ. मंजूश्री गर्ग

शुक्र ग्रहण
सूर्य, शुक्र औ पृथ्वी
एक सीध में।

                डॉ. मंजूश्री गर्ग

6 जून सन् 2012 ई0, बुधवार की सुबह शुक्र ग्रहण पड़ा था अर्थात् सूर्य, शुक्र और पृथ्वी तीनों एक सीध में आ गये थे. जिसके कारण सूर्य की रोशनी शुक्र ग्रह पर न पड़ने के कारण वह सूर्य की सतह पर एक काले बिन्दु की तरह दिखाई दिया. शुक्र ग्रहण के समय भी सूर्य की किरणें उसी प्रकार दूषित हो गयीं थी  जैसे कि सूर्य ग्रहण के समय हो जाती हैं जब सूर्य और पृथ्वी के बीच चन्द्रमा आ जाता है.

शुक्र ग्रहण 6 जून सन् 2012 ई0, बुधवार की सुबह लगभग 3 बजे से शुरू हुआ और लगभग 10 बजे तक दिखाई दिया. इस समय शुक्र ग्रह सूरज के चारों ओर चक्कर काटते हुये पृथ्वी के सामने से निकला. सबसे तेज चमकने वाला ग्रह एक काले धब्बे की तरह दिखाई दिया. विश्व भर में वैज्ञानिकों ने इसे टेलीस्कोप के माध्यम से देखा. नासा द्वारा प्रसारित तस्वीरों में दिखाया गया कि शुक्र ग्रहण के समय सूरज अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग रंग का दिखाई दिया-कहीं हरे रंग का, कहीं नारंगी रंग का, तो कहीं हल्का बैंगनी और कहीं सफेद.

शुक्र ग्रहण बहुत ही कम पड़ता है. टेलीस्कोप का आविष्कार होने के बाद अभी तक केवल सात बार देखा गया है- सन् 1639 ई0, सन् 1761 ई0, सन् 1769 ई0, सन् 1874 ई0, सन् 1882 ई0, सन् 2004 ई0, सन् 2012 ई0. अगली बार शुक्र ग्रहण सन् 2117 ई0 में दिखाई देगा.
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