हिन्दी साहित्य
Wednesday, December 11, 2019
हमें जब आपकी आँखों ने सब पैगाम दे डाले
भला खामोश क्यों बैठे हैं कुछ तो बात करियेगा।
डॉ0 कुँअर बेचैन
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