हिन्दी साहित्य
Tuesday, December 3, 2019
नहीं पहचानने का ये सबब है
तिरी आँखों से खुद को देखता हूँ।
शीन. काफ. ऩिजाम
(असली नाम- शिव कृष्ण बिस्सा)
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