पांडेय बेचन शर्मा ‘उग्र’
डॉ. मंजूश्री गर्ग
जन्म-तिथि- 1909 ई. (उत्तर प्रदेश)
पुण्य-तिथि- 1967 ई. (दिल्ली)
पांडेय बेचन शर्मा ‘उग्र’ हिन्दी के प्रसिद्ध
साहित्यकार एवं पत्रकार थे। इनके पिता का नाम वैद्यनाथ पांडेय था। ये सरयूपारीण
ब्राहम्ण थे। परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण इन्हें स्कूली शिक्षा
नियमित रूप से न मिल सकी। इसी कारण पांडेय जी ने बचपन से ही राम-लीला में अभिनय
किया था। ये बचपन से ही प्रतिभाशाली थे, अभिनय कला के साथ-साथ काव्य-प्रतिभा भी ईश्वर
प्रदत्त थी। साथ ही पांडेय जी उग्र स्वभाव के भी थे जिसके कारण इनका उपनाम ‘उग्र’ पड़ा। लाला
भगवानदीन के सामीप्य में आने पर हिन्दी साहित्य के प्रति इनका रूझान बढ़ता गया।
किशोरावस्था में ही प्रियप्रवास की शैली में ध्रुवचरित् प्रबंध
काव्य की रचना की थी।
पांडेय बेचन शर्मा ‘उग्र’ ने चॉकलेट,
शैतान की मछली, इन्द्रधनुष. उसकी माँ, चाँदनी, क्रांतिकारी कहानियाँ, उग्र का
रहस्य, पंजाब की महारानी, आदि कुल 97 कहानियाँ लिखीं। चंद हसीनों के खतूत,
दिल्ली का दलाल, फागुन के दिन चार, जुहू, आदि उपन्यास लिखे। अपनी खबर आत्मकथा
लिखी। कुछ विद्वान इसे हिन्दी साहित्य की प्रथम आत्मकथा मानते हैं, जबकि प्रथम
आत्मकथा कवि बनारसी दास जैन ने 17वीं शताब्दी में दोहा, चौपाई और सवैया में लिखी
थी। हाँ! हिन्दी गद्य साहित्य की प्रथम आत्मकथा हम अपनी
खबर को मान सकते हैं।
पांडेय बेचन शर्मा ‘उग्र’ ने हिन्दी पत्रकारिता के क्षेत्र में भी सच्चे
पत्रकार का आदर्श प्रस्तुत किया था। काशी से प्रकाशित दैनिक पत्र ऊँटपटाँग शीर्षक
से व्यंग्यात्मक लेख लिखते थे, इसमें इन्होंने अपना नाम अष्टावक्र रखा। फिर
भूत नाम से हास्य-व्यंग्य प्रधान पत्र निकाला। गोरखपुर से प्रकाशित होने
वाले स्वदेश पत्र में दशहरा अंक का संपादन किया। कलकत्ता से
प्रकाशित होने वाले मतवाला पत्र में काम किया। वीणा, विक्रम, संग्राम,
हिन्दी पंच, आदि विविध पत्रों में संपादन का काम किया, लेकिन उग्र स्वभाव के
कारण कहीं भी टिक नहीं पाये। पांडेय जी सामाजिक विषमताओं से आजीवन संघर्ष करते
रहे।
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