Wednesday, January 4, 2023


प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने शिशिर ऋतु का वर्णन किया है-

सिसिर में ससि को सरूप वाले सविताउ,

घाम हू में चांदनी की दुति दमकति है।

सेनापति होत सीतलता है सहज गुनी,

रजनी की झाँई वासर में झलकति है।

                           सेनापति 

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