Saturday, February 18, 2023

 

प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने माँ पार्वती की आराधना की है-

नूपुर बजत मानि मृग से अधीन होत,

मीन होत जानि चरनामृत झरनि को।

खंजन से नचैं देखि सुषमा सरद की सी,

सचैं मधुकर से पराग केसरनि की

रीझि रीझि तेरी पदछवि पै तिलोचन के

लोचन ये, अंब! धारैं केतिक धारनि को।

फूलत कुमुद से मयंक से निरखि नख;

पंकज से खिले लखि तरवा तरनि को।

                          रामचंद्र(कवि)


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