श्री नरेश सक्सैना
डॉ. मंजूश्री गर्ग
जन्म-तिथि- 16 फरवरी, सन् 1939 ई. ग्वालियर
नरेश सक्सैना बहुमुखी
प्रतिभा के धनी हैं, हिन्दी के प्रसिद्ध साहित्यकार, पत्रकार व फिल्म निर्देशक
हैं। नरेश सक्सैना जी व्यवसाय से इंजीनियर हैं। एम. ई. तक इंजीनियरिंग पढ़ी है और
पैंतालीस वर्ष तक इंजीनियरिंग की है। फिर भी हिन्दी भाषा में कवितायें लिखी हैं,
पहली रचना 1958 में मुक्तक के रूप में प्रकाशित हुई थी। कविता के विषय में नरेश जी
के विचार हैं- मनोरंजन या विलास का साधन कविता नहीं होती। सभी कलाओं और विज्ञान
की तरह आनन्द से अपने अटूट रिश्ते के बाबजूद वह पाठकों से गम्भीर पाठ की
माँग करती हैं।
विज्ञान का छात्र होने के
कारण नरेश जी की कविताओं का विषय साधारणतः अन्य कविताओं से भिन्न है। जीवन का
अधिकांश समय ईंट, मिट्टी, सीमेंट, लोहा, नदी, पुल, आदि के बीच बीता और यही विषय
इनकी कविताओं के भी बने; जैसे- गिरना,
सेतु, पानी क्या कर रहा है, संख्यायें, अंतरिक्ष से देखने पर, आदि। नरेश जी की
कविताओं के विषय में नलिन रंजन सिंह ने कहा है- नरेश जी की कविताओं में बोध और
संरचना के स्तरों पर अलग ताजगी मिलती है। बोध के स्तर पर वे समाज के अंतिम आदमी की
संवेदना से जुड़ते हैं, प्रकृति से जुड़ते हैं और समय की चेतना से जुड़ते हैं तो संरचना
के स्तर पर वे कवितायें छंद और लय के मेल से बुनते हैं।
नरेश सक्सैना जी की रचनायें
हैं-
कविता संग्रह- समुद्र पर हो रही है बारिश, सुनो चारूशीला।
नाटक- आदमी का आ।
पटकथा लेखन- हर क्षण विदा है, दसवीं दौड़, जौनसार बाबर, रसखान, एक हती
मनू(बुंदेली)
नरेश जी ने संबंध, जल से
ज्योति, समाधान, नन्हें कदम लघु फिल्मों का निर्देशन किया है।
नरेश जी ने आरम्भ, वर्ष,
छायानट नामक पत्रिकाओं का संपादन किया है।
नरेश सक्सैना जी को सन्
1973 ई. में हिन्दी साहित्य सम्मेलन सम्मान से सम्मानित किया गया और सन्
1992 ई. में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
नरेश सक्सैना जी की कविता
का उदाहरण-
गिरो प्यासे हलक में एक घूँट जल की तरह।
रीते पात्र में पानी की तरह गिरो
उसे भरे जाने के संगीत से भरते हुये।
गिरो आँसू की एक बूँद की तरह
किसी के दुख में।
गेंद की तरह गिरो
खेलते बच्चों के बीच।
गिरो पतझर की पहली पत्ती की तरह
एक कोंपल के लिये जगह खाली करते हुये।
गाते हुये ऋतुओं का गीत
कि जहाँ पत्तियाँ नहीं झरतीं
वहाँ बसन्त नहीं आता।
गिरो पहली ईंट की तरह नींव में
किसी का घर बनाते हुये।
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