Saturday, February 4, 2023


मिट्टी एक..........

 

मिट्टी एक, रूप अनेक

कभी बन घट, बुझाती प्यास

और कभी मानव बन

स्वयं बनती प्यास।

कभी बन मूर्ति देती वर

और कभी मानव बन

स्वयं बनती याचक।


        डॉ. मंजूश्री गर्ग 

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