मिट्टी एक..........
मिट्टी एक, रूप अनेक
कभी बन घट, बुझाती प्यास
और कभी मानव बन
स्वयं बनती प्यास।
कभी बन मूर्ति देती वर
स्वयं बनती याचक।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
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