Monday, April 17, 2023


मैं फूल नहीं कि सुबह होते हुये मुस्कुराऊँ,

ना ही कोई तारा कि रात होते ही जगमगाऊँ।

मुझे महकने और चहकने के लिये,

अपना सूरज-चाँद चाहिये।

                    डॉ. मंजूश्री गर्ग          

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