जैसे कोई पेंटिंग फ्रेम में लगकर और भी सुन्दर लगती है।
वैसे ही अनकहे रिश्ते रिश्तों में बँधकर और भी सुन्दर लगते हैं।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
No comments:
Post a Comment