Saturday, April 8, 2023


हो आदि शक्ति तुम ही

 

निराकार हो या साकार तुम,

हो आदि शक्ति तुम ही।

नदियाँ इठलाती चलतीं,

फलती-फूलती प्रकृति तुम से ही।

गृह-नक्षत्र रहते घूमते,

चाँद चाँदनी बरसाता तुम से ही।

लीन प्रलय में होकर एक दिन,

नव जीवन सब पाते तुम से ही।


                डॉ. मंजूश्री गर्ग 

No comments:

Post a Comment