आयेंगे आज बसंत कुअँर।
कर रही श्रृंगार प्रकृति सुन्दरी,
आयेंगे आज बसंत कुअँर।
नव वल्लरियों से सजा तोरण,
पीत पराग से आपूरित आँगन।
नव किसलयों से सजा वन,
नव सुमनों से सजा उपवन।
पक्षी के रागों में शहनाई की धुन,
कोयल की कुहू
में मीठी सी धुन।
डॉ. मंजूश्री गर्ग