Monday, January 6, 2025


जिस पल तुझे भूल जाने को मन कहता है।

उस पल मन और अधिक उदास लगता है।। 


            डॉ. मंजूश्री गर्ग

Sunday, January 5, 2025


चाहे-अनचाहे मोड़ों ने, जीवन का दिया नया रूप।

जैसे सीधा-सपाट कागज कोई, बन गया हो नाव।।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Saturday, January 4, 2025

 

 मैं, मेरा, हमारा’…

डॉ. मंजूश्री गर्ग

मैं, मेरा, हमारा, ये शब्द नहीं हैं,

इनमें समाया है, हमारा पूरा जीवन।

हमारा व्यक्तित्व, हमारा कृतित्व

हमारे रिश्ते, हमारा प्यार,

हमारा प्यार जो दिन-प्रतिदिन गहरा होता जाता है

और हमारे पूरे जीवन को अपनी लातिमा से भर देता है,

अपनी प्यारी सी खुशबू से महका देता है जीवन।

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Friday, January 3, 2025

 

मैं ही मैं हूँ, तो क्या मैं हूँ

तुम ही तुम हो, तो क्या तुम हो

मैं भी हूँ, तुम भी हो, तो हम हैं।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग

Thursday, January 2, 2025


सूरज से पहले आकाश में किरणें आती हैं।

गीत से पहले वाद्य से सरगम आती है।

फूल से पहले हवा में सुगंध आती है।

तुम से पहले अधरों पे मुस्कान आती है।।

                  डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Wednesday, January 1, 2025

 

सूरज निकलने तो दो,

फूल खिलने तो दो।

महकेंगी हवायें सारी,

बहकेंगी दिशायें सारी।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग