Friday, January 31, 2025


आयेंगे आज बसंत कुअँर।

  

कर रही श्रृंगार प्रकृति सुन्दरी,

आयेंगे आज बसंत कुअँर।

 

नव वल्लरियों से सजा तोरण,

पीत पराग से आपूरित आँगन।

 

नव किसलयों से सजा वन,

नव सुमनों से सजा उपवन।

 

पक्षी के रागों में शहनाई की धुन,

कोयल की कुहू में मीठी सी धुन।


        डॉ. मंजूश्री गर्ग

 

Thursday, January 30, 2025


 

प्यार की छुअन जब-जब मिली,

 

स्नेहिल स्पर्श पा श्री राम का,

जड़ अहिल्या बनी फिर नारी।

 

अधरों की छुअन पा श्री कृष्ण की,

जड़ बाँसुरी बजी सप्तम स्वर में।

 

प्यार की छुअन जब-जब मिली,

नाच उठा मन-मयूर वन में।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Wednesday, January 29, 2025

 

ये दर्द----

 

ये दर्द,

ये चुभन,

ये बेचैनी।

सब दोस्त

हैं अपने।

भूलकर भी,

भूलना चाहें

तुम्हें तो;

भूल नहीं

पायेंगे हम।


        डॉ. मंजूश्री गर्ग


Tuesday, January 28, 2025


कभी सुनहली प्रातः दे गया, कभी भीगी रात दे गया।

मन मेरा बँजारा भटका, कभी धूप, कभी छाँव दे गया।।

            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Monday, January 27, 2025


बोनसाई

 

 बरगद हो या पीपल

आम हो या जामुन।

बढ़ रहे घर-आँगन

जितना चाहें हम।

जैसे तराशें ख्बाब

बोनसाई से हम।

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            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Saturday, January 25, 2025

 


26 जनवरी, 76वें 2025 गणतंत्र दिवस

की

हार्दिक शुभकामनायें

 




सिंदूरी शाम थी, सिंदूरी नदी थी, कुछ बात थी कि

तुम साथ थी, सिंदूरी-सिंदूरी सारा मौसम था।

 

            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Friday, January 24, 2025

 

तुम साथ थे मेरे

तुम साथ हो मेरे

तुम साथ रहोगे हमेशा।

मेरी बातों में तुम

मेरे ख्बाबों में तुम

मेरी यादों में तुम

मेरे गीतों में तुम

मेरी गजलों में तुम

तुम ही तुम हो

जीवन के हर में पल में तुम।

 

            डॉ. मंजूश्री गर्ग


Thursday, January 23, 2025


जितना चाहो सुलझाना, उलझेंगे उतने ही।

रिश्ते जो सुलझे नहीं, छोड़ दो यूँ ही अनसुलझे।

समय बीतते कम हो जायेंगी मन की गाँठें।

जैसे किसी धागे की गाँठ में भी पिर जाते हैं मोती।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Wednesday, January 22, 2025

 


सुबह हुई तो,

 

सुबह हुई तो,

रात के

मधुर सपने

चुरा ले गयी।

कुछ लालिमा

आकाश तले,

कुछ मधुरता

फूलों पे

बिखरा गयी।

        डॉ. मंजूश्री गर्ग

Tuesday, January 21, 2025


सब कुछ कह दूँगी

 

सब कुछ कह दूँगी,

राज सारे खोल दूँगी।

लगता नहीं; क्योंकि?

सामने जब तुम होते हो,

कुछ भी कहने की हालत में,

तब हम नहीं होते।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Monday, January 20, 2025


जमीं पे नहीं पड़ते हैं कदम हमारे।

अरमानों को पंख लगे हैं आज।।

आकाश को छू लेंगे एक दिन हम।

चाहतों में नया रंग भरा है आज।।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Sunday, January 19, 2025


तेरी जुल्फों के साये में शामें सुहानी हैं,

हैं रोशन रातें तेरी ही मुस्कानों से।

बज उठते हैं जब तेरी यादों के घुँघरू

जिंदगी कई सरगमें सुनाती है हमें।।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Saturday, January 18, 2025


यूँ ही नहीं कोई किसी के गले का हार बन जाता है।

माला बनने से पहले फूलों को भी चुभन से गुजरना होता है।।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Friday, January 17, 2025

 

मूर्तियाँ तो बनती हैं और टूट जाती हैं, लेकिन व्यक्ति जो अपने पुरूषार्थ से अपना व्यक्तित्व बनाता है वो युगों-युगों तक अमर रहता है।

 

            डॉ. मंजूश्री गर्ग


Thursday, January 16, 2025


शाम का सूरज चाहे जितने रंग बिखेरे।

स्वर्णिम आभा सुबह का सूरज ही है देता।।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Wednesday, January 15, 2025


कृष्ण! तुम्हारे प्यार में, कृष्णमय हो गयी मैं।

ढूँढ़ती हूँ खुद को खुद में, पाती हूँ तुमको ही मैं।।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Tuesday, January 14, 2025


उड़ें पतंगें,

मकर संक्राति पे,

आकाश तले।

        डॉ. मंजूश्री गर्ग

           

Monday, January 13, 2025


गंगा सागर

गंगा औ' सागर का

महामिलन।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Sunday, January 12, 2025


जीवन बढ़े तो ऐसे जैसे शुक्ल पक्ष का चन्द्रमा।

दिन-दिन तेज बढ़े और उजियारा फैले जग में।।

 

            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Saturday, January 11, 2025

 

पौष पूर्णिमा

महाकुंभ प्रारम्भ

प्रयागराज।


        डॉ. मंजूश्री गर्ग

Friday, January 10, 2025


तुम मुस्कुराये खिलने लगा मन का कमल।

धीरे-धीरे महकने लगा जीवन सरोवर।।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Thursday, January 9, 2025


तुम मुस्कुराये खिलने लगा मन का कमल।

धीरे-धीरे महकने लगा जीवन सरोवर।।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Wednesday, January 8, 2025


धीरे से उठाइये, सँभाल के पढ़िये।

जिंदगी आँसू से गीली किताब है।।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Tuesday, January 7, 2025


ओस भीगी सुबह

कोहरे में लिपटी शाम

बस एक टुकड़ा धूप

आस जिंदगी की।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Monday, January 6, 2025


जिस पल तुझे भूल जाने को मन कहता है।

उस पल मन और अधिक उदास लगता है।। 


            डॉ. मंजूश्री गर्ग

Sunday, January 5, 2025


चाहे-अनचाहे मोड़ों ने, जीवन का दिया नया रूप।

जैसे सीधा-सपाट कागज कोई, बन गया हो नाव।।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Saturday, January 4, 2025

 

 मैं, मेरा, हमारा’…

डॉ. मंजूश्री गर्ग

मैं, मेरा, हमारा, ये शब्द नहीं हैं,

इनमें समाया है, हमारा पूरा जीवन।

हमारा व्यक्तित्व, हमारा कृतित्व

हमारे रिश्ते, हमारा प्यार,

हमारा प्यार जो दिन-प्रतिदिन गहरा होता जाता है

और हमारे पूरे जीवन को अपनी लातिमा से भर देता है,

अपनी प्यारी सी खुशबू से महका देता है जीवन।

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Friday, January 3, 2025

 

मैं ही मैं हूँ, तो क्या मैं हूँ

तुम ही तुम हो, तो क्या तुम हो

मैं भी हूँ, तुम भी हो, तो हम हैं।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग

Thursday, January 2, 2025


सूरज से पहले आकाश में किरणें आती हैं।

गीत से पहले वाद्य से सरगम आती है।

फूल से पहले हवा में सुगंध आती है।

तुम से पहले अधरों पे मुस्कान आती है।।

                  डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Wednesday, January 1, 2025

 

सूरज निकलने तो दो,

फूल खिलने तो दो।

महकेंगी हवायें सारी,

बहकेंगी दिशायें सारी।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग