Tuesday, January 28, 2025


कभी सुनहली प्रातः दे गया, कभी भीगी रात दे गया।

मन मेरा बँजारा भटका, कभी धूप, कभी छाँव दे गया।।

            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

No comments:

Post a Comment