Thursday, January 30, 2025


 

प्यार की छुअन जब-जब मिली,

 

स्नेहिल स्पर्श पा श्री राम का,

जड़ अहिल्या बनी फिर नारी।

 

अधरों की छुअन पा श्री कृष्ण की,

जड़ बाँसुरी बजी सप्तम स्वर में।

 

प्यार की छुअन जब-जब मिली,

नाच उठा मन-मयूर वन में।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

No comments:

Post a Comment