हिन्दी साहित्य
Wednesday, January 1, 2025
सूरज निकलने तो दो,
फूल खिलने तो दो।
महकेंगी हवायें सारी,
बहकेंगी दिशायें सारी।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
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