Friday, October 6, 2017


पहली नजर......

पहली नजर तेरी
जागी दिशायें सारी
मन-आकाश की
मानों चमकी हो
किरण भोर की।

पहली मुस्कान तेरी
हरषा रोम-रोम
मानों खिली हो
कली कोई प्यारी
उपवन में आज।

पहली छुअन तेरी
महका अंग-अंग
मानों मिट्टी से उठी हो
सोंधी महक, पा
बरखा की पहली फुहार।

                      डॉ0 मंजूश्री गर्ग
















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