पहली नजर......
पहली नजर तेरी
जागी दिशायें सारी
मन-आकाश की
मानों चमकी हो
किरण भोर की।
पहली मुस्कान तेरी
हरषा रोम-रोम
मानों खिली हो
कली कोई प्यारी
उपवन में आज।
पहली छुअन तेरी
महका अंग-अंग
मानों मिट्टी से उठी
हो
सोंधी महक, पा
बरखा की पहली फुहार।
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
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