शायद कहीं खिल रही है रात-रानी,
महक रही हैं आने वाली हवायें।
शायद चाँद गगन में चमक रहा है,
रोशन हो रही हैं राहें सारी।
शायद तुम आ रहे हो मिलने हमसे,
मन में फिर आशा सी जाग रही है।
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