प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने श्रृंगार व प्रेम के स्वरूप का वर्णन किया है-
सब सुख दायक नायिका-नायक जुगत अनूप,
राधा हरि आधार जस रस सिंगार सरूप।
देव
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