अयोध्या नगरी की शोभा का वर्णन भक्तिकाल के कवि नाभादास के शब्दों में-
अवधपुरी की शोभा जैसी। कहि
नहिं सकहिं शेष श्रुति तैसी।।
रचित कोट कलधौत सुहावन।
विविधा रंग मति अति मनभावन।।
चहुँदिसि विपिन प्रमोद
अनूपा। चतुर बीस जोजन रस रूपा।।
सुदिसि नगर सरजू सरि पावनि।
मनिमय तीरथ परम सुहावनि।।
विगसे जलज भृंग रस भूले।
गुंजत जल समूह दोउ कूले।।
परिखा प्रति चहुँदिसि लसति,
कंचन कोट प्रकास।।
विविधा भाँति नग जगमगत,
प्रति गोपुर पुरपास।।
नाभादास
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