पृथ्वीराज की कलम से
बैर बीज बो दिये परिवारों के बीच
नाना ने देकर सिंहासन दिल्ली का।
क्यों जयचंद देशद्रोही बनते, 'गर
मिलता उन्हें राजपद दिल्ली का।
क्यों आक्रमणकारी का वो साथ देते।
हर संभव प्रयास वो करते दिल्ली की रक्षा का।
और मैं भी सहर्ष साथ देता उनका।
संयोगिता भी सहज प्राप्त होती मुझे.
अजमेर ही बहुत था हम दोनों के लिये।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
No comments:
Post a Comment