गजल
डॉ. मंजूश्री गर्ग
पानी में पानी की बूँदें लगती हैं सुन्दर।
जीवन में जीवन की झलकें लगती हैं सुन्दर।।
ऐसे भी ना रूठिये कि मना भी ना पायें।
प्यार की बातें रूठने में लगती हैं सुन्दर।।
सुर-ताल को ना तोड़कर गीत गाइये।
पुरवा में पत्तों की सरगमें लगती हैं सुन्दर।।
हर भाव को ना छंद के बंधन में बाँधिये।
कभी-कभी लहरों की मुक्तकें लगती हैं सुन्दर।।
पंख जल गये हैं सभी कड़ी धूप में।
फिर भी मन की उड़ानें लगती हैं सुन्दर।।
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