Monday, June 5, 2023

 


डॉ. कन्हैया लाल नंदन


डॉ. मंजूश्री गर्ग

 

जन्म-तिथि- 1जुलाई, सन् 1933 ई. उत्तर प्रदेश

पुण्य-तिथि- 25 सितंबर, सन् 2010 ई.

 

कन्हैयालाल नंदन हिन्दी भाषा के प्रसिद्ध पत्रकार, साहित्यकार, मंचीय कवि व गीतकार थे। नंदन जी का जन्म उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के परदेसपुर गाँव में हुआ था। नंदन जी ने डी. ए. वी. कॉलेज, कानपुर से बी. ए. किया और प्रयागराज विश्वविद्यालय, प्रयागराज से एम. ए. किया। भावनगर विश्वविद्यालय से पीएच. डी. की।

 

प्रारम्भ में कन्हैयालाल नंदन ने अध्यापन कार्य किया। चार बर्षों तक मुबंई विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य किया. उसके बाद पत्रकारिता से जुड़े। सन् 1961 ई. से 1972 तक टाइम्स ऑफ इंडिया की साप्ताहिक पत्रिका धर्मयुग के संपादक रहे। 1972 से दिल्ली में क्रमशः पराग, सारिका, दिनमान पत्रिकाओं के संपादक रहे। तीन वर्ष तक दैनिक नवभारत टाइम्स में फीचर संपादन किया। 6 वर्ष तक हिंदी संडे मेल में प्रधान संपादक रहने के बाद 1994 में इंडसइंड मीडिया में निर्देशक पद पर रहे।

 

कन्हैयालाल नंदन को 1999 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया। इसके अतिरिक्त भारतेन्दु पुरस्कार, अज्ञेय पुरस्कार, मीडिया इंडिया पुरस्कार, कालचक्र पुरस्कार, रामकृष्ण जयदयाल सद्भावना पुरस्कार, आदि से भी नंदनजी को सम्मानित किया गया।

 

कन्हैयालाल नंदन ने 36 से अधिक पुस्कतें लिखीं, इनमें से प्रसिद्ध कृतियाँ हैं- लकुआ का शाहनामा, घाट-घाट का पानी, अंतरंग नाट्य परिवेश, आग के रंग, अमृता शेरगिल, समय की दहलीज, बंजर धरती पर इंद्रधनुष, गुजरा कहाँ-कहाँ से।

कन्हैयालाल नंदन द्वारा लिखित श्रृंगार रस की एक कविता के कुछ अंश-

 

एक नाम अधरों पर आया,

अंग-अंग चंदन वन हो गया।

 

बोल हैं कि वेद की ऋचायें,

सांसों में सूरज उग आये,

आँखों में ऋतुपति के छंद तैरने लगे,

मन सारा नील गगन हो गया।

 

गंध गुंथी बाहों का घेरा,

जैसे मधुमास का सबेरा,

फूलों की भाषा में देह बोलने लगी,

पूजा का एक जतन हो गया।

 

                                         कन्हैयालाल नंदन

 

 

           

 

 

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