फूल को ताजी हवा, पानी न मिले सूख जाता है।
जलते दीप को स्नेह न मिले बुझ जाता है।
मीठी नदी को प्रवाह न मिले सड़ जाती है।
जिंदगी को गति न मिले मर जाती है।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
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