कल्प वृक्ष-च्यूरा वृक्ष
डॉ. मंजूश्री गर्ग
च्यूरा एक सदाबहार
बहुउपयोगी वृक्ष है। इसे तेजी से बढ़ने वाले तिलहन मूल का वृक्ष भी कहते हैं। इसका
वैज्ञानिक नाम डिप्लोवनेमा बूटीरेशिया है। भारत में इसे मक्खन वृक्ष या बटर ट्री(Butter tree) के नाम से भी जाना जाता है। च्यूरा वृक्ष को मैदानी भागों
में पाये जाने वाले बहुउपयोगी महुआ वृक्ष की पहाड़ी प्रजाति का माना जाता है। भारत
के पहाड़ी राज्यों उत्तराखंड, कश्मीर, सिक्किम और भूटान में बहुतायत सा पाये जाते
हैं। उत्तराखंड के कुमायूँ मंडल में अल्मोड़ा, बागेश्वर, पिथौरागढ़ और चम्पावत
जिले में काली, पनार, रामगंगा और सरयू नदी, नैनीताल के पास भीमताल के आस-पास के स्थानों
में च्यूरा के वृक्ष बहुत अधिक हैं।
च्यूरा का वृक्ष ऊँचा और
तना मजबूत होता है। इसकी ऊँचाई 15 मी. से 22 मी. तक होती है तथा तने की चौड़ाई 1.5
मी. से 3 मी. तक होती है। च्यूरा वृक्ष की पत्तियाँ 20-25 से. मी. लम्बी और 9-18
से. मी. चौड़ी होती हैं जो शाखाओं के अग्रभाग पर गुच्छे के रूप में लगी होती हैं।
इनकी पत्तियाँ शुभ मानी जाती हैं और आम के पत्तों की तरह बंदनवार बनाने के काम आती
हैं। साथ ही पौष्टिक होने के कारण दुधारू पशुओं के चारे के रूप में पत्तियों का
प्रयोग किया जाता है।
च्यूरा के फूल सफेद या पीले
रंग के होते हैं जो जनवरी से अक्टूबर महीने के बीच खिलते हैं। फूलों का व्यास 2.0
से 2.5 से. मी. होता है। फूल बहुत ही सुगंधित होता है जिसके कारण मधुमक्खियाँ इनकी
ओर आकर्षित होती हैं। इनके फूलों से प्राप्त शहद उत्तम स्वादिष्ट व औषधीय गुणों से
भरपूर होता है। च्यूरा के फल का गूदा स्वादिष्ट, मीठा, सुगंधित व रसीला होता है। इसके
फल के गूदे में शर्करा की मात्रा बहुत अधिक होती है, जिससे स्थानीय लोग गुड़ बनाते
हैं. गूदे के अवशेषों को पशुओं के चारे के रूप में प्रयोग किया जाता है।
च्यूरा के फलों के अन्दर 1.5
से. मी. से 2.0 से.मी. लम्बाई वाले काले चमकदार लगभग बादाम के आकार के बीज होते
हैं जिनके अंदर सफेद गिरी होती है। इनके बीजों का उपयोग वनस्पति घी बनाने में किया
जाता है और घी की तरह ही खाने में प्रयोग किया जाता है। च्यूरा के बीजों से
प्राप्त घी देसी घी के समान ही गुणकारी होता है। च्यूरा वृक्ष की जड़ों की भूमि पर
मजबूत पकड़ होती है। जिस कारण यह वृक्ष पहाड़ी ढ़लानों पर भू-कटाव को रोकने में
अत्यधिक उपयोगी माना जाता है।
इस प्रकार च्यूरा वृक्ष का
लगभग प्रत्येक भाग किसी न किसी रूप में मानव जीवन में अपनी अहम् भूमिका निभाता है।
इसीलिये च्यूरा वृक्ष को कल्प-वृक्ष भी कहते हैं।
बहुत ज्ञानवर्धक आलेख है। धन्यवाद आपका।
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