Saturday, November 30, 2024


आँखें कहें, अपलक देखता रहूँ

कान कहें, मौन हो सुनता रहूँ।

तुम्हीं कहो! प्रिय रागिनी! कैसे?

तुमसे अपने मन की बात कहूँ।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Friday, November 29, 2024


 

सवालात सी दीवार उठती सब ओर से

जिंदगी जब भी नया मोड़ लेती है।।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Thursday, November 28, 2024

 

तुम साथ थे मेरे

तुम साथ हो मेरे

तुम साथ रहोगे हमेशा।

मेरी बातों में तुम

मेरे ख्बाबों में तुम

मेरी यादों में तुम

मेरे गीतों में तुम

मेरी गजलों में तुम

तुम ही तुम हो

जीवन के हर में पल में तुम।

 

            डॉ. मंजूश्री गर्ग

 

 

 


Wednesday, November 27, 2024


छुईमुई सा तन सिमटा नजर की छुअन से

सुरमई सा मन खिला मुस्कान की अगन से।

अगन में जलते-जलते बीतेगी उम्र सारी

जो बुझा दे इसे वो निर्मल धार कहीं नहीं।।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Tuesday, November 26, 2024


जिंदगी के शोख सपने

फैले थे मन-पटल पर।

सोख्ते* की तरह सोख लिये

जिंदगी की कड़ी धूप ने।।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग

 

*सोख्ता-Blotting Paper

  

Monday, November 25, 2024


मन के पाँवों में बँधे हैं, उनकी यादों के घुँघरू।

सँभाल के पाँव रखे चाहे जितना, झनकते ही हैं ये घुँघरू।।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Sunday, November 24, 2024


पर हैं पर उड़ने की अभिलाषा मन में

पिंजरे से तकते हैं परिंदे आकाश को।। 


            डॉ. मंजूश्री गर्ग

Saturday, November 23, 2024


खुद को बनाने से पहले

खुद को मिटाना जरूर था।

अपने आप अपनी तकदीर

बनाना आसान न था।।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Friday, November 22, 2024


सूरज से पहले आकाश में किरणें आती हैं।

गीत से पहले वाद्य से सरगम आती है।

फूल से पहले हवा में सुगंध आती है।

तुम से पहले अधरों पे मुस्कान आती है।।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Thursday, November 21, 2024


बरसते मेघ-दल से कहिये,

पिघलते हिम-खंड से कहिये।

कहनी है बात दूर तलक तो,

बहती हुई पवन से कहिये।।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Wednesday, November 20, 2024


नजर में सज के नगीना बन गये।

गिर गये तो कहलायेंगे पत्थर।।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Tuesday, November 19, 2024


माँ को भूले, माटी भूले

भूल गये गाँव शहर।

पिज्जा, बर्गर की खुशबू में

भूले रोटी की महक।।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग

Monday, November 18, 2024


खारे आँसू सारे सागर ने पी लिये

और मीठा जल लिये बहती रही नदी।

                  डॉ. मंजूश्री गर्ग 

 

तारे झिलमिलायें

चाँद मुस्कुराये।

रात में तुम आये

मन भी गुनगुनाये।।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग

Sunday, November 17, 2024


बहने दो स्नेह की सहज, सरस, मधुर धारा।

सिंचित हो जिससे महके जीवन की बगिया।।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Friday, November 15, 2024


 ठोकर नहीं कहती कि रोक दो बढ़ते कदम।

कहती है बढ़ते रहो आगे सँभल-सँभल कर।।


           डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Thursday, November 14, 2024


जीवन खिले तो खिले ऐसे जैसे खिले डाल पर फूल,

उपवन को सजाये और पवन को महकाये।

यश फैले तो फैले ऐसे जैसे फैलें प्रातः की किरणें

अंधकार को दूर करें और उजियारा फैलायें।।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Wednesday, November 13, 2024


बिन थामे ही हाथ, हमेशा

थामे रहते हाथ हमारा।

कैसे कह दें! साथ नहीं हो,

पल-पल साथ निभाते हो।।


        डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Tuesday, November 12, 2024


टूट कर बिखरना ही नहीं, किस्मत हम फूलों की,

पलभर मुस्कुरायें तो, सदियां महकेंगी हमसे।

                  डॉ. मंजूश्री गर्ग          

Monday, November 11, 2024

 

कही-अनकही बातें,

आधी-अधूरी मुलाकातें,

कोरे दिन औ कोरी रातें

बहुत कुछ लिख जाती हैं ये यादों की स्याही।


                    डॉ. मंजूश्री गर्ग

Sunday, November 10, 2024


पावन एक स्वरूप है, भिन्न-भिन्न हैं नाम

जो सीता के राम हैं, वे ही राधेश्याम।

                                           सुबोध श्रीवास्तव

 

Saturday, November 9, 2024


अधूरा प्यार भी कम खूबसूरत नहीं होता जनाब!

कभी जनाब! बाहर आ के अष्टमी के चाँद को तो देखो।

कितनी आशायें, अपेक्षायें समेटे है अपने आँचल में।

                  डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Friday, November 8, 2024


दिन दिन घटते दिन, लंबी होती रातें।

धीरे से दस्तक दी सर्दी ने आने की।।

 

            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Thursday, November 7, 2024


बिन रंग जो रंग दे जीवन आपका।

है वही सच्चा रंगरेज आपका।।

                  डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Wednesday, November 6, 2024


शांत बहुत शांत हैं सागर की लहरें।

तूफान आने की प्रबल संभावनायें हैं।।



            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Tuesday, November 5, 2024


नजरों के नजर से मिलते ही

छा गया प्रीत रंग ऐसे ही

जैसे आकाश समुद्र के मिलते ही

छा जाये नील रंग नजरों में।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Monday, November 4, 2024


चाहतें जो हो ना सकीं पूरी।

दीपक जला कर उतार दीं पानी पे।।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Sunday, November 3, 2024


हमने जीना सीख लिया है,

झूठ बोलना सीख लिया है।

महफिल में परिधानों सा,

मुस्कान पहनना सीख लिया है।।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Saturday, November 2, 2024


सम्बन्धों की देहरी पर खिले प्यार के फूल।

रखना कदम आगे विश्वासों के साथ।।


        डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Friday, November 1, 2024


सुबह की सुनहली किरण सा प्यार तुम्हारा।

ओस की बूँद सा मधुरिम प्यार तुम्हारा।

दौज के चाँद सा देदीप्य प्यार तुम्हारा।

सूक्ष्म होकर भी आशाओं भरा प्यार तुम्हारा।

                  डॉ. मंजूश्री गर्ग