सुबह की सुनहली किरण सा प्यार तुम्हारा।
ओस की बूँद सा मधुरिम प्यार तुम्हारा।
दौज के चाँद सा देदीप्य प्यार तुम्हारा।
सूक्ष्म होकर भी आशाओं भरा प्यार तुम्हारा।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
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