Saturday, November 30, 2024


आँखें कहें, अपलक देखता रहूँ

कान कहें, मौन हो सुनता रहूँ।

तुम्हीं कहो! प्रिय रागिनी! कैसे?

तुमसे अपने मन की बात कहूँ।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

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