हिन्दी साहित्य
Monday, February 5, 2018
हाइकु
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
उत्सुक आँखें
करें स्वागत
,
तो
मन हरषे.
‘
कौर
’
भी स्वर्ण
अभिशाप बना है
वरदान पा.
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