Saturday, February 10, 2018


रहो उदास तुम,
खुश रहें हम,
मुमकिन नहीं।
पाला भी पड़े,
तुलसी भी ना सूखे,
मुमकिन नहीं।

                      डॉ0 मंजूश्री गर्ग

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