हिन्दी साहित्य
Friday, February 2, 2018
हाइकु
तुझे देखा तो
चाह जगी मन में
निखरा रूप।
चलना हमें
पथरीली राहों पे
मंजिल तक।
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
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