हिन्दी साहित्य
Thursday, February 15, 2018
आज मिलन की रात में
खोया-खोया चाँद कहीं।
सितारों मे मन बहलता नहीं,
लाख समझायें मन को, मगर
मन समझता ही नहीं।
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
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