हिन्दी साहित्य
Tuesday, February 6, 2018
हाइकु
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
बिन ज्वाला
वर्तिका और दीप
दोनों खामोश.
सुहाने पल
अतिथि बन आये
सदा दो पल.
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